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दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) - दीपावली पर निबंध हिंदी में

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दिवाली पर निबंध (Diwali Essay in Hindi) - दिवाली... ये शब्द सामने आते ही रोशनी से जगमग घर, शहर की तस्वीर दिमाग में आ जाती है। दिवाली हर भारतीय के लिए अपनों से जुड़े होने और अच्छाई करने की प्रेरणा देने वाला महापर्व है। दिवाली हमारे देश भारत के सबसे लोकप्रिय व महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। दिवाली को दीपावली भी कहते हैं। दीपावली को प्रकाश का पर्व कहा जाता है। दीपावली अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है जो हमारे देश की संस्कृति, सामाजिकता और सौहार्द्र को वैश्विक स्तर पर दर्शाता है। दीपावली के अवसर पर पांच दिनों तक दीपोत्सव मनाया जाता है जिसका समापन भाई दूज के बाद होता है। देश ही नहीं विश्वभर में मौजूद भारतीय मूल के लोग इस त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं। गुरु नानक जयंती पर निबंध | पीएम इंटर्नशिप योजना

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दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) - प्रस्तावना (Introduction)

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दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) - दीपावली पर निबंध हिंदी में

इस महापर्व को मनाने के पीछे कई मान्यताएं हैं। सबसे प्रमुख मान्यता भगवान राम द्वारा 14 वर्ष वनवास से अध्योध्या आगमन की है। इस वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम द्वारा माता सीता को हर कर ले जाने वाले अहंकारी रावण पर विजय प्राप्त करने की खुशी भी शामिल है। दिवाली का त्योहार यह संदेश भी देता है कि बुराई चाहे रावण जैसी बलवान और बुद्धिवान क्यों न हो, उसका एक दिन अंत होकर ही रहता है। बुराई का साथ देने वाले भले इंद्रजीत, कुंभकर्ण जैसे महाबली क्यों न हों उनका भी विनाश होना तय है। अपने पूज्य राम के रावण के विजय और वनवास समाप्त कर अयोध्या वापसी की खुशी में अयोध्यावासियों ने धूमधाम और हर्ष-उल्लास के साथ सजावट और तैयारियांं कर इस दिन को उत्सव की तरह मनाया तब से हर साल इस दिन यानी कार्तिक अमावस्या को दीपावली का उत्सव मनाया जाता है।

दिवाली त्योहार तथा इसकी खूबियों से छात्रों को परिचित कराने के लिए छोटी कक्षाओं में दिवाली पर निबंध (Diwali Essay in Hindi) का प्रश्न हिंदी तथा अंग्रेजी दोनों भाषाओं में पूछा जाता है। इस हिंदी दिवाली निबंध (Diwali Essay in Hindi) से उन युवा शिक्षार्थियों को फायदा मिलेगा जो दीपावाली त्योहार पर हिंदी में निबंध (Diwali Essay in Hindi) लिखना चाहते हैं। साथ ही उन्हे Diwali 2024 kab hai के बारे में जानकारी भी प्राप्त होगी। हमने नीचे दिए गए निबंध में शुभ दिवाली त्योहार (Happy Diwali Festival in Hindi) के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने का एक छोटा-सा प्रयास किया है। बच्चे दिवाली पर हिंदी के इस निबंध (Diwali Essay in Hindi) से सीखकर लाभ उठा सकते हैं तथा वाक्य कैसे बनाए एवं किन बातों को दीपावली निबंध में जगह दी जाए, जैसी बातों को समझने के साथ ही अपने हिंदी लेखन कौशल को भी बेहतर बना सकते हैं।

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दिवाली हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय व महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे बड़े ही उत्साहपूर्वक और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। बच्चों को दिवाली पर निबंध (diwali par nibandh) लिखकर त्योहार के बारे में अपने आनंदमय अनुभव साझा करने का अवसर मिलता है। युवा आम तौर पर इस त्योहार को बहुत पसंद करते हैं क्योंकि यह सभी के लिए ढेर सारी खुशियाँ और उल्लास के पल लेकर आता है। अपने घर-परिवार से दूर अन्य प्रदेश, विदेश में रहकर रोजगार करने लोग भी इस समय अपने घर-परिवार के साथ दिवाली मनाने के लिए लंबी यात्रा कर अपनों के बीच आते हैं और अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते हैं तथा अपने प्रियजनों के साथ दिवाली शुभकामनाएं (Happy Diwali wishes in Hindi) और उपहार साझा करते हैं।

दिवाली पर निबंध (diwali par nibandh in hindi)

अधिकतर लोग इस दौरान ऑनलाइन साल 2024 में दिवाली कब है, ढूंढते रहते हैं (What is the real date of Diwali in 2024?)। ऐसे में आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल 2024 में दिवाली पर्व 31 अक्टूबर को मनाई गई। हालांकि कुछ प्रदेशों में एक नवंबर को भी दीवाली मनाई जाएगी। वर्ष 2025 में दिवाली 21 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन विशेष रूप से धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। छात्र इस लेख में नीचे दिए गए दिवाली त्योहार पर निबंध (Essay of Diwali Festival) की जांच कर सकते हैं और दिवाली त्योहार के बारे में अपने व्यक्तिगत अनुभव व्यक्त करने या साझा करने के लिए इस विषय पर कुछ पंक्तियां लिखने का प्रयास कर सकते हैं। बच्चों को कक्षा मे दीपावली पर निबंध (dipawali per nibandh) लिखने को कहा जाता है। दिवाली पर निबंध (diwali par nibandh) लिखने के लिए आपको इस लेख से मदद मिलेगी।

दिवाली के पावन अवसर पर धन की देवी माँ लक्ष्मी, विघ्नहर्ता गणेश जी व कुबेर जी की विधि-विधान से पूजा करने का विशेष महत्व माना गया है। लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल में करने को सर्वाधिक फलदायक माना जाता है। इसके अलावा प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन विशेष फलदायक होता है। ऐसी मान्यता है कि स्थिर लग्न में की गई अपनी पूजा-आराधना से प्रसन्न होकर माता लक्ष्मी आराधक के घर में निवास करने लगती हैं। इस समय अधिकतर लोग ये जानना चाहते हैं कि Diwali 2024 kab hai। वर्ष 2024 में दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर को मनाया गया। हालांकि कुछ प्रदेशों में एक नवंबर को भी दीवाली मनाई जाएगी। साल 2023 में दिवाली के अवसर पर 12 नवंबर को लक्ष्मी पूजन मुहूर्त गृहस्थजनों के लिए सायं 05:41 मिनट से रात 07:37 मिनट तक है। लक्ष्मी पूजन मुहूर्त की कुल अवधि लगभग 01 घंटे 55 मिनट रहेगी। वहीं साल 2022 में, 24 अक्टूबर को दिवाली का त्योहार देश भर में मनाया गया था।

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यहां बच्चों के लिए दिवाली पर हिंदी में निबंध (diwali par nibandh in hindi) दिया गया है, जिसकी मदद दीपावली पर निबंध (deepavali par nibandh) लिखते समय ली जा सकती है:

दीपावली का अर्थ: दिवाली जिसे "दीपावली" के नाम से भी जाना जाता है, भारत और दुनिया भर में रहने वाले हिंदुओं के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। ‘दीपावली' संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है – दीप + आवली। ‘दीप’ का अर्थ होता है ‘दीपक’ तथा ‘आवली’ का अर्थ होता है ‘शृंखला’, जिसका मतलब हुआ दीपों की शृंखला या दीपों की पंक्ति। दीपावली का त्योहार कार्तिक मास के अमावस्या के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार दुनिया भर के लोगों द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। हालांकि इसे हिंदू त्योहार माना जाता है, लेकिन विभिन्न समुदायों के लोग भी पटाखे और आतिशबाजी के जरिए इस उज्ज्वल त्योहार को मनाते हैं।

दीपावली त्योहार की तैयारी: दीपावली त्योहार की तैयारियां दिवाली से कई दिनों पहले ही आरंभ हो जाती है। दीपावली के कई दिनों पहले से ही लोग अपने घरों की साफ-सफाई व रंगाई-पुताई करने में जुट जाते हैं क्योंकि ऐसी मान्यता है कि जो घर साफ-सुथरे होते हैं, उन घरों में दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी विराजमान होती हैं तथा अपना आशिर्वाद प्रदान करके वहां सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी करती हैं। दिवाली के नजदीक आते ही लोग अपने घरों को दीपक और तरह-तरह के लाइट्स से सजाना शुरू कर देते हैं।

दिवाली में पटाखों का महत्व: दीपावली को "रोशनी का त्योहार - प्रकाश पर्व" कहा जाता है। इस दिन लोग मिट्टी के बने दीपक जलाते हैं और अपने घरों को विभिन्न रंगों और प्रकारों की रोशनी से सजाते हैं, जिसे देखकर कोई भी मंत्रमुग्ध हो सकता है। इस पर्व में बच्चों को पटाखे जलाना और विभिन्न तरह के आतिशबाजी जैसे फुलझड़ियां, रॉकेट, फव्वारे, चक्री आदि बहुत पसंद होते हैं।

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दिवाली का इतिहास : हिंदू मान्यताओं के अनुसार, दिवाली के दिन ही भगवान श्री राम 14 वर्षों के वनवास के बाद अपनी पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण और उनके उत्साही भक्त हनुमान के साथ अयोध्या लौटे थे, अमावस्या की रात होने के कारण दिवाली के दिन काफी अंधेरा होता है, जिस वजह से उस दिन पूरे अयोध्या को दीपों और फूलों से भगवान श्री राम चंद्र के लिए सजाया गया था, ताकि भगवान राम के आगमन में कोई परेशानी न हो, तब से लेकर आज तक इसे दीपों का त्योहार और अंधेरे पर प्रकाश की जीत के रूप में मनाया जाता है।

इस शुभ अवसर पर, बाजारों में भगवान गणेश जी, लक्ष्मी जी, राम जी आदि की मूर्तियों की खरीदारी की जाती है। इस दौरान बाजारों में खूब चहल-पहल होती है। लोग इस अवसर पर नए कपड़े, बर्तन, मिठाइयां आदि खरीदते है। हिंदुओं द्वारा देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, क्योंकि व्यापारी दिवाली के पर्व पर नए बहीखाते की शुरुआत करते हैं। साथ ही, लोगों का मानना है कि यह खूबसूरत त्योहार सभी के लिए धन, समृद्धि और सफलता लाता है। लोग दिवाली के त्योहार के अवसर पर अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ उपहारों का आदान-प्रदान करने के लिए तत्पर रहते हैं।

दीपवाली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां

दीपावाली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व के पावन अवसर पर भी कुछ असामाजिक तत्व अपने बुरी आदत जैसे शराब का सेवन, जुआ खेलना, टोना-टोटका करना और पटाखों के गलत इस्तेमाल से इसे ख़राब करने में जुटे रहते हैं। अगर समाज में दीपावाली के दिन इन कुरीतियों को दूर रखा जाए तो दिवाली का पर्व वास्तव में शुभ दीपावली हो जाएगा।

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  • दीपावली का त्योहार लगभग 5 दिनों का होता है। जिस के पहले दिन धनतेरस होता है। धनतेरस के दिन लोग धातु की वस्तुएं जैसे सोने और चांदी के आभूषण को खरीद कर अपने घर जरूर लेकर जाते हैं।
  • दीपावली का दूसरा दिन नरक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। कुछ लोग इस दिन को छोटी दिवाली के रूप में भी मनाते हैं।
  • तीसरा दिन दीपावली त्योहार का मुख्य दिन होता है। इस दिन देवी महालक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है।
  • दीपावली के चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने इंद्र के क्रोध से हुई मूसलाधार वर्षा से लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठा लिया था।
  • दिवाली के त्योहार के आखिरी दिन को भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।

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1) दीपावली को दीपों का त्योहार या दीपोत्सव भी कहा जाता है।

2) दिवाली भारत के सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है।

3) यह त्यौहार भगवान राम की याद में मनाया जाता है जो चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे।

4) इस अवसर पर हिंदू अनुयायी मिट्टी के दीपक जलाते हैं और अपने घरों को रंगोली से सजाते हैं।

5) बच्चे इस त्योहार पर पटाखे जलाकर बहुत खुश होते हैं।

6) हिंदुओं में इस अवसर पर धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।

7) बच्चे, बूढ़े और जवान, सभी इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी और विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा करते हैं।

8) इस दिन सभी लोग अपने दोस्तों और पड़ोसियों को मिठाइयाँ और उपहार देते हैं।

9) भारत में इस दिन सार्वजनिक अवकाश रहता है और लोग इस त्योहार को बड़े धूम-धाम के साथ मनाते हैं।

10) यह हिंदुओं के सबसे प्रिय और आनंददायक त्योहारों में से एक है, जिसे अन्य धर्म और संप्रदाय के लोग भी आपस में मिलजुल कर मनाते हैं।

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दीपावली पर निबंध (dipawali per nibandh) 150 शब्द (कक्षा 4 और 5 के छात्रों के लिए)

दिवाली पर निबंध (diwali nibandh in hindi) कक्षा 4 और 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में उपयुक्त हैं।

दिवाली पर निबंध हर साल परीक्षाओं में आने वाले सबसे महत्वपूर्ण निबंधों में से एक है। दिवाली, रोशनी का त्योहार है। यह हिंदू धर्म का एक बहुत पुराना उत्सव है। मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान राम ने रावण का वध किया और लंका विजय के बाद माता सीता को लेकर अध्योध्या वापस लौटे। भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास की समाप्ति और रावण पर विजय के साथ माता सीता को मुक्त कराकर अयोध्या लौटने की खुशी में अयोध्यावासियों ने घर-घर दीपक जलाए। खुशियां मनाईं। यह परंपरा आज भी जारी है। दुनियाभर में हिंदू धर्मावलंबी बहुत उत्साह के साथ दीपावली मनाते हैं।

इस त्योहार को लेकर बच्चों में खासा उत्साह रहता है। घर, दुकान में दीपावली से पहले सफाई की जाती है। सभी लोग नए कपड़े पहनते हैं। बच्चे पटाखे छोड़ते हैं। लोग अपने घरों को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाते हैं। दीपक जलाते हैं। दुकानों-प्रतिष्ठानो में मां लक्ष्मी की पूजा होती है। मिठाईयां बांटी जाती है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह अंधकार को दूर कर प्रकाश का भी प्रतीक है।

दिवाली पर निबंध (diwali nibandh in hindi) 250 शब्द (कक्षा 6,7 और 8 के छात्रों के लिए)

250 शब्दों की शब्द सीमा वाले दिवाली निबंध कक्षा 6,7 और 8 के छात्रों की परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं। दिवाली उल्लास और उत्सव का समय है। यह वह दिन है जब राजा रामचंद्र ने असुर सम्राट रावण को हराया और 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे। अयोध्या वापसी पर अयोध्यावासियों ने अपने राजा राम का स्वागत दीप जलाकर किया। मान्यता है कि रामचंद्र की वापसी की खुशी में दीपावली मनाई जाती है।

लोग रंग-बिरंगी रोशनी से घरों को सजाते हैं। दीप-मोमबत्ती जलाते हैं। पकवान बनते हैं। लोग नए कपड़े पहनते हैं। मां लक्ष्मी की पूजा होती है। बच्चे और बड़े पटाखे-आतिशबाजी करते हैं।

आतिशबाजी दिवाली का एक लोकप्रिय हिस्सा बन गई है, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि त्योहार की असली भावना अपने प्रियजनों के साथ खुशियाँ फैलाना है। दिवाली जैसे त्यौहार परिवारों और दोस्तों के बीच के आपके बंधन को मजबूत करता है। यह एक ऐसा समय है जब हर कोई अपने परिवारों के साथ जश्न मनाने के लिए अपने गृहनगर वापस जाता है।

दिवाली के अवसर पर राष्ट्रीय अवकाश रहता है। इसलिए हर कोई त्योहार का आनंद उठाता है। रात होते ही उत्साह बढ़ता है। हर तरफ रोशनी दिखती है। माहौल में उल्लास का अनुभव होता है। दिवाली हमें धैर्य और जीवन में अच्छी चीजों की प्रतीक्षा करने का मूल्य सिखाती है। बच्चे उत्सुकता से उन स्वादिष्ट मिठाइयों और पकवानों का इंतज़ार करते हैं। यह एक ऐसा समय भी है जब घरों और आसपास की जगहों की अच्छी तरह सफाई होती है। दिवाली इस बात की शिक्षा देती है कि "अच्छे लोग हमेशा बुरे लोगों पर विजय प्राप्त करते हैं।"

दिवाली पर 300 शब्दों में निबंध (कक्षा 9,10 और 11 के छात्रों के लिए)

300 शब्दों में दिवाली पर निबंध कक्षा 9,10 और 11 के छात्रों के लिए उनकी परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह निबंध अक्सर हिंदी लेख में पूछा जाता है।

भारतीय संस्कृति में त्यौहार मानव जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। वे हमारे मूल्यों की एक विशेष याद दिलाते हैं। त्योहार हमारी एकता, उल्लास और मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं, इसे चरितार्थ करते हैं। दीपावली एक ऐसा ही एक त्यौहार है जिसे बहुत खुशी के साथ मनाया जाता है। दिवाली एक हिंदू त्यौहार है जो लंका के राजा रावण के साथ एक बड़ी लड़ाई के बाद श्रीरामचंद्र की अयोध्या वापसी का प्रतीक है। यह अंधकार पर प्रकाश का द्योतक है। त्यौहार में लोग मिलजुलकर खुशियां बांटते हैं।

दिवाली हमें सभी के प्रति दयालु होने और धैर्य रखने की याद दिलाती है। हमारी मान्यताओं का हमारे सोचने के तरीके पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है, इसलिए हमें दिवाली जैसे त्यौहारों में अपने विश्वास को बनाए रखना चाहिए। हालांकि दिवाली की रात को लोग पटाखे और आतिशबाजी करते हैं। यह कई बार लोगों की असुविधा का भी कारण बनता है। आतिशबाज़ी हवा में हानिकारक गैसें छोड़ती हैं, जिससे प्रदूषण होता है। इससे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पटाखे की तेज आवाज आस-पास रहने वाले जानवरों को भी डराते हैं और उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए, दूसरों को खतरे में डाले बिना, ज़िम्मेदारी से जश्न मनाना ज़रूरी है। दिवाली के दौरान, हमारे घर ताज़े पके हुए खाने की स्वादिष्ट खुशबू से भर जाते हैं। हम त्योहार के दौरान बहुत सारे स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं और उनका आनंद लेते हैं। लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि त्योहार हमें करीब लाने और हमारे बंधन को मजबूत करने के लिए होते हैं, न कि उत्सव के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए। तो, आइए दिवाली को खुशी, दया और सभी जीवित प्राणियों और हमारे आस-पास की दुनिया के लिए विचार के साथ मनाएं।

लोगों में इस वर्ष जिज्ञासा हो रही है कि दिवाली 2024 कब है? (Diwali 2024 kab hai) 31 अक्टूबर या 1 नवंबर? तो हम आपको diwali kab hai 2024 सवाल का जवाब बता देते हैं। यदि आप भी सोच रहे हैं कि 2024 में दीपावली कब मनाई जाएगी तो जान लिजिए कि कुछ ज्योतिषियों के अनुसार 1 नवंबर को दिवाली (diwali 2024) मनाना शास्त्रसम्मत है। 1 नवंबर को दिवाली मनाए जाने की वजह से इस बार दीप पर्व 5 की जगह 6 दिनों का हो जाएगा। 29 अक्टूबर को धनतेरस से पर्व की शुरुआत होगी और 3 नवंबर को भाईदूज के साथ इसका समापन होगा। ज्योतिषियों के अनुसार प्रदोषकाल में प्रदोष व्यापिनी तिथि अमावस्या होने पर दिवाली मनाई जाती है। हालांकि इस बार 31 अक्टूबर और 1 नवंबर दोनों ही दिन अमावस्या तिथि है। शास्त्र के अनुसार जब दोनों दिन सांयकाल में अमावस्या तिथि हो तो दूसरे दिन अमावस्या युक्त प्रतिपदा को लिया जाना चाहिए। इसलिए 1 नवंबर को दिवाली मनाना शास्त्रसम्मत है।

हालांकि कुछ पंडितों के अनुसार 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाया जाना चाहिए। उनके अनुसार कार्तिक अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को शाम 3 बजकर 52 मिनट पर आरंभ हो रही है और इसका समापन 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार कार्तिक अमावस्या 1 नवंबर को है। दिवाली की पूजा अमावस्या तिथि में प्रदोष व्यापिनी मुहूर्त में शास्त्रसम्मत है। प्रदोषकाल सूर्यास्त के बाद प्राप्त होता है। हालांकि कुछ ज्योतिषियों का कहना है कि 1 नवंबर काे अमावस्या तिथि सूर्यास्त के बाद जल्द खत्म हो जाएगी। ऐसे में प्रदोषकाल कम समय प्राप्त होगा। अमावस्या को निशिता मुहूर्त में लक्ष्मी पूजा का महत्व माना जाता है। 1 नवंबर को निशिता मुहूर्त प्राप्त नहीं होगा इसलिए कुछ लोग इस वजह से 31 अक्टूबर को दिवाली मनाए जाने को ठीक बता रहे हैं। (2024 mein diwali kab hai)

दिवाली का त्योहार आने के 10-12 दिन पहले से ही बच्चों में इस त्योहार का उमंग दिखने लगता है। कोई अपने घरों में घरौंदा बनाने में जुट जाता है तो कोई कंदील तैयार करने में लग जाता है। स्कूलों में भी दिवाली के अवसर पर बच्चों के बीच रंगोली प्रतियोगिता, कंदील प्रतियोगिता जैसे इवेंट का आयोजन होता है जिसमें बच्चे अपनी रचनात्मक क्षमता दिखाते हैं। इस दौरान बच्चों का उत्साह देखते ही बनता है। इसके अलावा कई संस्थाओं द्वारा भी दिवाली पर कार्यक्रमों का आयोजन कर सामाजिक सद्भाव का संदेश देते हुए मिठाई और ग्रीन पटाखे बांटे जाते हैं।

दीपावली के दिन घर में मिट्टी का घरौंदा रखने का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। हालांकि बीते समय के साथ लोग इसको भूलने लगे हैं, लेकिन आज भी मान्यताओं को मानने वाले लोग मिट्टी, लकड़ी आदि से घरौंदा बनाकर घरों में रखते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दीपावली के दिन घर में घरौंदा बनाने से घर में माता लक्ष्मी का वास होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है। कंदील सजाकर रखने से सकारात्मकता का भाव घर में बना रहता है।

दीपावली के अवसर पर बाजार में चहल-पहल बढ़ जाती है। तरह-तरह की दुकानें सजती हैं। मिट्‌टी के दीये, पटाखे, सजावट के सामान, फूल, कृत्रिम फूल, रंगोली बनाने का सामान, विभिन्न प्रकार की रंग-बिरंगी लाइट, कपड़े, मिठाईयां, बर्तन की दुकानें सड़क के किनारे सज जाती हैं। पूरा माहौल आनंद और उल्लास से भर जाता है। लोग घरों की सफाई करते हैं। उपयोग में आने वाली नई चीजें खरीदते हैं। इस अवसर का लाभ ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां भी उठाती हैं। वे ग्राहकों को तरह-तरह के लुभावने ऑफर देते हैं और छूट देकर अधिक से अधिक बिक्री करना चाहते हैं। लोग उपहार में एक-दूसरे को मिठाईयां देते हैं। कंपनियाें में अपने कर्मचारियों को गिफ्ट देने की परंपरा है। कंपनियां अपने कर्मियों को बर्तन, थर्मस, प्रेशर कूकर, आयरन, ट्रॉली बैग आदि के साथ मिठाईयां और नमकीन के पैकेट उपहार में देती हैं।

बच्चों को दीपावली का इंतजार सबसे अधिक इंतजार रहता है। क्योंकि उन्हें विभिन्न तरह के पटाखे चलाने को मिलता है। बच्चे अपने अभिभावकों से दिवाली से दो-चार दिन पहले ही अपने लिए फुलझड़ियां, अनार, पटाखे, बंदूक खरीदवा लेते हैं। और घर-बाहर धमा-चौकड़ी मचाते हुए पटाखे छोड़ते हैं। हालांकि पटाखे चलाते समय असावधानी रखने पर कभी-कभी दुर्घटना भी होती है। हाथ-पैर जल जाते हैं। इसलिए पटाखे चलाते समय बच्चों को ध्यान रखना चाहिए कि किसी को कोई नुकसान न हो। हालांकि दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध है। और भारी आवाज और रोशनी वाले पटाखे नहीं चला सकते। क्योंकि ये पटाखे भारी मात्रा में धुंआ छोड़ते हैं जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता है। इससे सांस के मरीजों की तकलीफ बढ़ जाती है। वहीं तेज आवाज वाले पटाखे से जानवर खासकर कुत्ते सहम जाते हैं। इसलिए उनकी परेशानी का भी ध्यान रखना चाहिए। बिहार में भी राजधानी पटना के अलावे मुजफ्फरपुर, गया और हाजीपुर में किसी प्रकार के पटाखों के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। क्योंकि पिछले वर्ष इन चार शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई बहुत खराब या गंभीर पाई गई थी। हालांकि ग्रीन पटाखों का उपयोग रात 8 से 10 बजे तक किया जा सकता है।

विभिन्न राज्यों में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ग्रीन पटाखों को छोड़कर अन्य सभी पटाखों के निर्माण, बिक्री, फोड़ने और उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है। साथ ही कॉमर्शियल वेबसाइट पर पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगाई गई है। ग्रीन पटाखों के लिए भी समय सीमा निर्धारित की गई है। ग्रीन पटाखों में प्रदूषण फैलाने वाल पीएम पार्टिकल्स कम मात्रा में होते हैं।

दीपावली एक महत्वपूर्ण पर्व है जिस पर सभी एक-दूसरे के साथ अपनी खुशियां साझा करते हैं और दूसरों के सुखमय जीवन की कामनाएं करते हैं। दीपावली के शुभ अवसर पर परिजनों, ईष्टमित्रों से किन शब्दों में अपनी शुभकामना व्यक्त करें, यह उलझन होती है। नीचे कुछ दिवाली शुभकामना संदेश दिए गए हैं जिनकी मदद से आपको अपनी भावना व्यक्त करने में सहूलियत होगी-

  • प्रकाश व खुशियों के महापर्व दीपावाली आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लेकर आए। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं...
  • देवी महालक्ष्मी की कृपा से आपके घर में हमेशा उमंग और आनंद की रौनक हो। इस पावन मौके पर आप सबको दीपावाली की हार्दिक शुभकामनाएं। शुभ दीपावली!
  • प्रकाश के महापर्व दीपावली पर मेरी कामना है कि आपको समृद्धि, खुशी और अपार सफलता मिले। शुभ दीपावली!
  • लक्ष्मी जी विराजें आपके द्वार, सोने चांदी से भर जाए आपका घर-बार, आपके जीवन में आए खुशियां अपार, यही कामना है आपके लिए उपहार। दीपावली की बधाई...
  • शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा । शत्रुबुद्धि-विनाशाय दीपज्योती नमोऽस्तुते ।। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।।
  • प्रकाश का महापर्व दीपावली आपके घर में लाए खुशहाली, आप और आपके परिवार को हैप्‍पी दिवाली।
  • गणपति और मां लक्ष्मी आपके दुखों का नाश करें। रोशनी के दीप आपके घर में खुशहाली लाएं। दिवाली की ढेर सारी बधाई...
  • गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) पर भाषण
  • प्रदूषण पर निबंध
  • बाल दिवस पर हिंदी में भाषण

दिवाली स्वयं के अंदर के अंधकार को मिटा कर समूचे संसार को प्रकाशमय बनाने का त्योहार है। बच्चे इस दिन अपनी इच्छानुसार बम, फुलझड़ियाँ तथा अन्य पटाखे खरीदते हैं और आतिशबाजी का आनंद उठाते हैं। हमें इस बात को समझना होगा कि दीपावली के त्योहार का अर्थ दीप, प्रेम तथा सुख-समृद्धि से है। ऐसे में पटाखों का इस्तेमाल सावधानी पूर्वक और अपने बड़ों के सामने रहकर करना चाहिए। दिवाली का त्योहार हमें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। दीपावली का त्योहार सांस्कृतिक और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है। इस त्योहार के कारण लोगों में आज भी सामाजिक एकता बनी हुई है। हिंदी साहित्यकार गोपालदास नीरज ने भी कहा है, "जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना, अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।" इसलिए दीपावली पर प्रेम और सौहार्द को बढ़ावा देने के प्रयत्न करने चाहिए।

इन्हें भी देखें

  • सीबीएसई क्लास 10वीं सैंपल पेपर
  • यूके बोर्ड 10वीं डेट शीट
  • यूपी बोर्ड 10वीं एडमिट कार्ड
  • आरबीएसई 10वीं का सिलेबस

दिवाली 2025 में 20 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। दीपावली को दीप उत्सव भी कहा जाता है, क्योंकि दीपावली का मतलब होता है दीपों की अवली यानि पंक्ति। दिवाली का त्यौहार अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है।

दिवाली 2024 की छुट्‌टी (Diwali 2024 Holiday)

दिवाली 2024 के अवसर पर हरियाणा और दिल्ली सरकार ने 31 अक्टूबर को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया। हरियाणा सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि दीपावली के अवसर पर 31 अक्टूबर को अवकाश रहेगा। वहीं दिल्ली सरकार ने भी दीपावली की छुट्‌टी 31 अक्टूबर को घोषित की है। शिक्षा निदेशालय हरियाणा द्वारा जारी नए आदेश के बाद छुट्‌टी की तिथि बदली है। दरअसल, पहले हरियाणा में दिवाली की छुट्टी 2024 गुरुवार, 31 अक्टूबर और शुक्रवार 1 नवंबर को होने वाली थी। लेकिन अब ये तारीखें बदलकर 30 और 31 अक्टूबर कर दी गई हैं।

धनतेरस कब है 2024 में?

वैदिक पंचांग के अनुसार, Dhanteras 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Dhanteras 2024 Date and Auspicious Time) कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर 30 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष काल इस दिन संध्याकाल 5 बजकर 36 मिनट से लेकर 8 बजकर 11 मिनट तक है।

दीपावली कब है 2024 शुभ मुहूर्त?

Diwali 2024 Date : कब है दिवाली? पूजा करने का शुभ मुहूर्त 31 अक्टूबर की शाम में 6:27 मिनट से लेकर रात में 8:32 मिनट तक है। दीपावली पूजा का निशिता मुहूर्त रात में 11:39 मिनट से देर रात 12 बजकर 31 मिनट तक है।

दीपावली पर निबंध (deepavali par nibandh) : वर्ष 2024 में, 29 अक्टूबर, 2024 को धनतेरस और 31 अक्टूबर, 2024 को छोटी दिवाली के बीच एक दिन का अंतराल होगा। यह क्रम हिंदू चंद्र कैलेंडर के आधार पर होगा।

प्रदोष काल : शाम 05:36 बजे से रात 08:11 बजे तक

वृषभ काल: सायं 06:20 बजे से रात्रि 08:15 बजे तक

अमावस्या तिथि आरंभ: 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 03:52 बजे

अमावस्या तिथि समाप्त 1 नवंबर 2024 को शाम 6:16 बजे।

दिवाली 2024 कब है : तारीख और समय

दिवाली हिंदू चंद्र-सौर महीनों अश्विन और कार्तिक में मनाई जाती है, जो आम तौर पर मध्य अक्टूबर और मध्य नवंबर के बीच आती है। प्राचीन हिंदू कैलेंडर के अनुसार, दिवाली प्रतिवर्ष कार्तिक माह के पंद्रहवें दिन अमावस्या को मनाई जाती है।

वर्ष 2024 में शुक्रवार, 1 नवंबर, 2024 रोशनी का त्योहार मनाया जाएगा। द्रिकपंचांग के अनुसार सबसे शुभ समय शाम 5:36 बजे और 6:16 इनके बीच है।

Frequently Asked Questions (FAQs)

दिवाली 14 साल के वनवास के बाद भगवान राम की अयोध्या वापसी और साथ ही अंधकार पर रोशनी का प्रतीक है। अपने घरों की सफाई और उन्हें तरह तरह के लाइट से सजाने के बाद लक्ष्मी गणेश की पूजा के साथ दीपावली का त्योहार धूम धाम से मनाया जाता है, तथा रात के समय बच्चे आतिशबाजी का भी लुफ्त उठाते हैं।

इस त्योहार के दौरान, लोग अपने घरों को रंगोली और तेल के दीयों से सजाते हैं, जिन्हें दीपक कहा जाता है। सभी एक दूसरे को बधाई देते हैं, अच्छे अच्छे पकवान बनाते हैं, पटाखों से आतिशबाजी करते हैं और मिल-जुल कर सौहार्द के साथ दिवाली के पर्व को मनाते हैं।

दीपावली' संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है – दीप + आवली। ‘दीप’ अर्थात ‘दीपक’ और ‘आवली’ अर्थात ‘श्रृंखला’, जिसका मतलब हुआ दीपकों की श्रृंखला या दीपों की पंक्ति।

आप इस लेख की सहायता से दिवाली पर हिंदी में निबंध लिख सकते है, पूरे लेख को ध्यान से पढ़ें और समझें की आप किस तरह से दिपावली पर हिंदी निबंध लिख सकते हैं।  

दिवाली का त्योहार मिट्टी के दीप या फिर तरह -तरह के लाइट और रंगोली से अपने घर को सजा कर, खुशियां बाँट कर, लक्ष्मी गणेश की पूजा करके, अच्छे अच्छे पकवान बना कर हर्ष और उल्लास के साथ दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।

साल 2024 में दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। हालांकि कुछ प्रदेशों में 1 नवंबर को भी दीपावली मनाई जाएगी। 

लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल में करना सर्वाधिक फलदायक माना जाता है। प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन का और विशेष महत्व है। साल 2023 में दिवाली के अवसर पर 12 नवंबर को लक्ष्मी पूजन मुहूर्त गृहस्थजनों के लिए सायं 05:41 मिनट से रात 07:37 मिनट तक है। लक्ष्मी पूजन मुहूर्त की कुल अवधि लगभग 01 घंटे 55 मिनट रहेगी। 

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Questions related to CBSE Class 10th

If you're looking for directions or steps to reach Sadhu Ashram on Ramgart Road in Aligarh, here’s how you can get there:

Steps to Reach Sadhu Ashram, Ramgart Road, Aligarh:

Starting Point:

  • Determine your starting point in Aligarh or the nearby area.

Use Google Maps:

  • Open Google Maps on your phone or computer.
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  • Follow the navigation instructions provided by Google Maps.

By Local Transport:

  • Auto-rickshaw/Taxi: Hire an auto-rickshaw or taxi and inform the driver about your destination. Most local drivers should be familiar with Sadhu Ashram.
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Landmarks to Look For:

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Ask for Directions:

  • If you're unsure, ask locals for directions to Sadhu Ashram on Ramgart Road. It's a known location in the area.

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Yes, you can apply for 12th grade as a private candidate .You will need to follow the registration process and fulfill the eligibility criteria set by CBSE for private candidates.If you haven't given the 11th grade exam ,you would be able to appear for the 12th exam directly without having passed 11th grade. you will need to give certain tests in the school you are getting addmission to prove your eligibilty.

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You are not eligible for cbse board but you can still do 12th from nios which allow candidates to take admission in 12th class as a private student without completing 11th.

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General electronic configuration of outermost and penultimate shell of an atom is (n-1)s^{2} (n-1)p^{6} (n -1)d^{x} ns^{2} . If n=4  the number of proton in the nucleus is

What would you observe when zinc is added to a solution of iron(II) sulphate? Write the chemical reaction that takes place.

n a morning walk three persons step of together therir steps measure 80cm 85cm 90 cm  what is the minimum distance that each should walk so that all can cover the same distance in complete steps ? what are the benifits of morning walk?

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दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi 2024): दीपावली पर निबंध हिंदी में 

Diwali essay in hindi : हैप्पी दिवाली यहां देखें दिवाली पर हिंदी निबंध और बच्चों के लिए छोटे-छोटे पैराग्राफ, दीपावली त्यौहार पर आसान 10 लाइन्स और 150 शब्दों में दिवाली निबंध। सभी निबंध pdf रूप में free डाउनलोड करें।.

Garima Jha

दिवाली पर हिंदी निबंध (Essay on Diwali in Hindi ): दीपावली, भारत में मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार, हर साल, केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर के भारतीय समुदायों में विशेष आनंद और उत्सव के साथ मनाया जाता है। "दीपावली" शब्द का अर्थ होता है "दीपों की श्रृंखला"।  यह शब्द बना है "दीप" और "आवली" को जोड़ कर जिन्हें संस्कृत भाषा के शब्दों से लिया गया है।

दीपावली को दिवाली या दीवाली भी कहा जाता है।  यह त्योहार हर घर में खुशियों की सौगात लाता है और इस दिन हर घर में भगवान गणेश और लक्ष्मी की पूजा की जाती है। यूँ तो दीवाली पांच दिनों का त्यौहार है जहां हर एक दिन का एक अलग महत्व है लेकिन आमतौर पर 2 दिन सबसे खास होते हैं - छोटी दिवाली और दिवाली। आमतौर पर दिवाली का त्यौहार अक्टूबर के मध्य से नवंबर के मध्य में पड़ता है। दीपावली कार्तिक माह के पंद्रहवें दिन अमावस्या को मनाई जाती है। 2024 में दिवाली, शुक्रवार, 1 नवंबर को है। 

दिवाली पर हिंदी निबंध: Hindi Essay on Diwali 2024

Diwali essay in hindi in 10 lines.

लाइन 1: दिवाली, दीवाली या दीपावली को 'रोशनी का त्योहार' भी कहा जाता है।

लाइन 2: कई भारतीय संस्कृतियों के लिए दिवाली का त्यौहार ही नए साल की शुरुआत का प्रतीक है।

लाइन 3: दिवाली बुराई पर अच्छाई के डेट का प्रतिक है क्यूंकि इसी दिन भगवान् राम रावण को हराने के बाद 14 साल का वनवास पूरा कर अयोध्या वापस लौटे थे।

लाइन 4: इस दिन अयोध्यावासियों ने अपने श्री राम के लौटने की खुशी  में अपने घरों और पूरे शहर को दीयों से सजाया था।

लाइन 5: दिवाली पर लोग अपने घरों को साफ करते हैं,  फूलों से सजाते हैं, रंगोली बनाते हैं, दीये जलाते हैं और पूरे घर को रोशनी  से भर देते हैं।

लाइन 6: पड़ोसी, दोस्त, रिश्तेदार एक-दूसरे से प्यार से मिलते हैं और उपहार एवं मिठाइयाँ लेते - देते हैं।

लाइन 7: दीवाली की रात देवी लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है।

लाइन 8: दिवाली पांच दिनों का त्योहार है।

लाइन 9: दिवाली से एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाई जाती है।

लाइन 10: दीपावली सिर्फ एक त्यौहार नहीं बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

हिंदी दिवाली निबंध - Diwali Essay in Hindi in 200 Words

दिवाली एक हिंदू त्योहार है जिसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। दीपावली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है।आमतौर पर दिवाली अक्टूबर या नवंबर में आता है। इस दिन श्री राम लंकापति रावण को हराने के बाद अपनी नगरी - अयोध्या - लौटे थे। भगवान राम की अयोध्या वापसी अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

दीपावली पांच दिवसीय त्यौहार है। दिवाली त्यौहार के दौरान, घरों को साफ किया जाता है और घर के हर कोने को दीपक, फूलों और रंगीन रंगोलियों से सजाया जाता है। लोग उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। दिवाली की रात यानि इस पूरे त्यौहार के मुख्या शाम को लोग धन और समृद्धि के देवी-देवता, लक्ष्मी मान और भगवान गणेश की विशेष पूजा करते है।

दिवाली 2024 

दिवाली का महत्त्व, दिवाली के पांच दिन: about all 5 days of diwali.

दिवाली पांच-दिवसीय उत्सव है। 

पहले दिन के उत्सव को धनतेरस कहा जाता है। यह दिन नई चीजें, खासकर सोना और चांदी खरीदने के लिए शुभ दिन माना जाता है। 

दूसरा दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने का दिन है क्योंकि इस दिन बुरी आत्माओं को दूर रखने के लिए विशेष अनुष्ठान किये जाते हैं। 

दिवाली, यानि के तीसरे दिन, रावण को हराने के बाद भगवान राम की अपने राज्य अयोध्या में वापसी का जश्न है। इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवन गणेश की भी पूजा की जाती है। 

दिवाली का चौथा दिन गोवर्धन पूजा है। मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था। 

हम दिवाली क्यों मनाते हैं?

दिवाली पर लंबा निबंध - long essay on diwali in hindi, प्रदूषण मुक्त और पर्यावरण-अनुकूल दीपावली .

दीपावली भारत में मनाए जाने वाले सबसे लोकप्रिय और शुभ त्योहारों में से एक है। इसे रोशनी के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है, यह बुराई पर अच्छाई की, अज्ञान पर ज्ञान की और निराशा पर आशा की जीत का प्रतीक है। दिवाली हिंदू कैलेंडर में कार्तिक महीने की अमावस्या को मनाई जाती है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में आती है।

दिवाली संस्कृत के शब्द दीपावली से बना है, जिसका अर्थ है "दीपकों की पंक्ति।" यह त्यौहार नए हिंदू वर्ष की शुरुआत का भी प्रतीक है। इस पर्व को घर के चारों ओर दीये और मोमबत्तियाँ जलाकर मनाया जाता है। यह अंधकार पर प्रकाश की विजय और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। दिवाली दुनिया भर के हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह बुराई पर अच्छाई की, अज्ञान पर ज्ञान की और निराशा पर आशा की जीत का जश्न मनाने का समय है। 

दीपावली मानाने के पीछे कई कथन हैं।  रावण को हराने के बाद भगवान राम के अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में दिवाली मनाई जाती है। श्री राम को 14 साल के लिए अयोध्या से वनवास दिया गया था और उनकी वापसी को बहुत खुशी और उत्सव के साथ मनाया गया था। अयोध्या के लोगों ने उनके स्वागत के लिए दीये जलाए और अपने घरों को सजाया। दिवाली मनाने का एक अन्य कारण धन और समृद्धि की हिंदू देवी लक्ष्मी का सम्मान करना है। लोग धन और सौभाग्य का आशीर्वाद पाने के लिए दिवाली की रात लक्ष्मी पूजा करते हैं।

दिवाली पूरे भारत में बड़े उत्साह और खुशी के साथ मनाई जाती है। लोग इस त्योहार की तैयारी हफ्तों पहले से ही शुरू कर देते हैं। वे अपने घरों को साफ करते हैं, उन्हें रोशनी और रंगोलियों से सजाते हैं और नए कपड़े खरीदते हैं। दिवाली की रात, लोग अपने घरों और कार्यालयों के चारों ओर दीये और मोमबत्तियाँ जलाते हैं। वे धन और सौभाग्य का आशीर्वाद पाने के लिए लक्ष्मी पूजा भी करते हैं। पूजा के बाद, लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं। लोग स्वादिष्ट भोजन और मिठाइयाँ बनाते हैं और उन्हें अपने प्रियजनों के साथ बाँटते हैं।

दिवाली परिवारों और दोस्तों के एक साथ आने और जश्न मनाने का समय है। लोग अपने घरों को साफ करते हैं और सजाते हैं, नए कपड़े खरीदते हैं और स्वादिष्ट भोजन तैयार करते हैं। दिवाली की रात, लोग दीये जलाने, लक्ष्मी पूजा करने और उपहारों का आदान-प्रदान करने के लिए इकट्ठा होते हैं। दिवाली परिवारों और दोस्तों के एक साथ आने और जश्न मनाने का समय है। यह सभी गिले-शिकवे भूल कर नई शुरुआत करने का समय है। दिवाली आनंद और खुशियाँ फैलाने का भी समय है। दिवाली के अवसर पर समृद्ध घर-परिवार के लोग दान देते हैं और जरूरतमंदों की मदद करते हैं। 

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Hindi Essay on "Diwali ka Tyohar", "दीपावली का त्योहार " for Students Complete Hindi Speech,Paragraph for class 5, 6, 7, 8, 9, and 10 students in Hindi Language

दीपावली का त्योहार  diwali ka tyohar.

प्रस्तावना- भारत एक ऐसा देश है जिसको त्योहारों की भूमि कहा जाता है। इन्हीं पर्वों में से एक खास पर्व है दीपावली | दिवाली , भारत देश में मनाया जाने वाला सबसे बडा़ त्यौहार है। दिवाली को पूरे भारत में खूब धूम धाम से मनाते हैं। दीपों का खास पर्व होने के कारण इसे दीपावली या दिवाली नाम दिया गया। दीपावली का मतलब होता है , दीपों की अवली यानि पंक्ति। इसे भगवान राम के 14 साल का वनवास काटकर अपने राज्य में लौटने की खुशी में मनाया जाता है। दीवाली को रोशनी का उत्सव या लड़ीयों की रोशनी के रुप में भी जाना जाता है जो कि घर में लक्ष्मी के आने का संकेत है साथ ही बुराई पर अच्छाई की जीत के लिये मनाया जाता है।

दीपावली कब-क्यों मनाई जाती है  

कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाने वाला यह महापर्व , अंधेरी रात को असंख्य दीपों की रौशनी से प्रकाशमय कर देता है। कहते हैं भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे , इस खुशी में अयोध्यावासियों ने दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। हिंदुओं में इस दिन लक्ष्मी के पूजन का विशेष विधान है। रात्रि के समय प्रत्येक घर में धनधान्य की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मीजी , विघ्न-विनाशक गणेश जी और विद्या एवं कला की देवी मातेश्वरी सरस्वती देवी की पूजा-आराधना की जाती है। कहा जाता है कि दीपावली मनाने से लक्ष्मीजी प्रसन्न होकर स्थायी रूप से सदगृहस्थों के घर निवास करती हैं।

उत्सव  

दीपावली , भारत में हिन्दुओं द्वारा मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्योहार है। इस प्रकार दीपों की पंक्तियों से सुसज्ज‍ित इस त्योहार को दीपावली कहा जाता है। यह त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है। धनतेरस से भाई दूज तक यह त्योहार चलता है। पहले दिन धनतेरस या धन्त्ररावदाशी के रूप में जाना जाता है जिसे देवी लक्ष्मी की पूजा करके मनाया जाता है। लोग देवी को खुश करने के लिए आरती , भक्ति गीत और मंत्र गाते हैं। दूसरे दिन नरका चतुर्दशी या छोटी दिवाली के रूप में जाना जाता है जिसे भगवान कृष्ण की पूजा करके मनाया जाता है क्योंकि उन्होंने राक्षस राजा नारकसुर को मार डाला था। तीसरे दिन मुख्य दिवाली दिवस के रूप में जाना जाता है जिसे शाम को रिश्तेदारों , दोस्तों , पड़ोसियों और जलती हुई फायर क्रैकर्स के बीच मिठाई और उपहार वितरित करते हुए देवी लक्ष्मी की पूजा करके मनाया जाता है। चौथे दिन भगवान कृष्ण की पूजा करके गोवर्धन पूजा के रूप में जाना जाता है। लोग अपने दरवाजे पर पूजा करकेगोबर के गोवर्धन बनाते हैं। पांचवें दिन यम द्वितिया या भाई दौज के रूप में जाना जाता है जिसे भाइयों और बहनों द्वारा मनाया जाता है।

स्वच्छता का प्रतीक  

दीपावली जहाँ रौनक और ज्ञान का प्रतीक है वही स्वच्छता का प्रतीक भी है। इस दिन हर जगह स्वच्छता ही दिखाई देती है। सबके घरों का एक-एक कोना साफ़ होता है। और रौनक जगमगा उठती है। घी के दिए की खुशबू पूरे वातावरण में फैली होती है। सबके मन में नई ऊर्जा और नया उत्साह जन्म लेता है। लोग अपनी बुराइयों को त्याग कर अच्छे और सच्चे राह पर चलने की कामना करते है।

उपसंहार  

गणेश को शुभ शुरुआत के देवता और लक्ष्मी को धन की देवी कहा गया है। दीपावली का त्योहार सभी के जीवन को खुशी प्रदान करता है। नया जीवन जीने का उत्साह प्रदान करता है। लोग सड़कों , बाजारों , घरों और परिवेश में समृद्धि और कल्याण की इच्छा के लिए तेल से भरे प्रकाश की मिट्टी के साथ दीवाली का स्वागत करते हैं। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हमारे किसी भी कार्य एवं व्यवहार से किसी को भी दुख न पहुंचे , तभी दीपावली का त्योहार मनाना सार्थक होगा।

निबंध नंबर : 02 

दीपावली  Dipawali 

दीपावली हिंदुओं का प्रमुख पर्व है। इसे समस्त भारतीय सामाजिक , सांस्कृतिक तथा धार्मिक परंपरा के रूप में बहुत श्रद्धा व उल्लास से प्रतिवर्ष मनाते हैं। समस्त भारत में शरद ऋतु में यह पर्व किसी न किसी रूप में मनाया जाता है।

' दीपावली ' का अर्थ है ' दीपों की पंक्ति ' । माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा श्री रामचंद्र अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे। अयोध्यावासियों का हृदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से उल्लासपूर्ण था। श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीए जलाए। कार्तिक मास की घनघोर काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं।

कृष्ण भक्तिधारा के लोगों का मत है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्यावारी राजा नरकासुर का वध किया था। इस नृशंस राक्षस के वध से जनता में अपार हर्ष फैल गया और प्रसन्नता से भरे लोगों ने घी के दीए जलाए। एक पौराणिक कथा के अनुसार विष्णु ने नरसिंह रूप धारणकर हिरण्यकश्यप का वध किया था तथा इसी दिन समुद्रमंथन के पश्चात लक्ष्मी व धन्वंतरि प्रकट हुए।

जैन मतावलंबियों के अनुसार चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस भी दीपावली को ही है। दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है। कई सप्ताह पूर्व ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती हैं। लोग अपने घरों , दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं। घरों । में मरम्मत , रंग-रोगन , सफ़ेदी आदि का कार्य होने लगता है। लोग दुकानों को भी साफ़-सुथरा कर सजाते हैं। बाजारों में गलियों को भी सुनहरी झंडियों से सजाया जाता है। दीपावली से पहले ही घर-मोहल्ले , बाजार सब साफ़-सुथरे व सजे-धजे नजर आते हैं।

दीपावली एक दिन का पर्व नहीं अपितु पर्यों का समूह है। दशहरे के पश्चात् ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती हैं। लोग नए-नए वस्त्र सिलवाते हैं। दीपावली से दो दिन पूर्व धनतेरस का त्योहार आता है। इस दिन बाजारों में चारों तरफ़ जनसमूह उमड़ पड़ता है। बरतनों की दुकानों पर विशेष साज-सज्जा व भीड़ दिखाई देती है। धनतेरस के दिन बरतन खरीदना शुभ माना जाता है अतैव प्रत्येक परिवार अपनी-अपनी अनसार कुछ न कुछ अवश्य खरीदते हैं। इस दिन तुलसी और घर के दवार पर दीपक जलाए जाते हैं।

इससे अगले दिन नरक चौदस या छोटी दीपावली होती है। इस दिन यम पूजा हेतु दीपक जलाए जाते हैं। अगले दिन दीपावली आती है। इस दिन घरों में सुबह से ही तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। बाजारों में खील-बताशे , मिठाइयाँ , खांड के खिलौने , लक्ष्मी-गणेश आदि की मर्तियाँ बिकने लगती हैं। स्थान-स्थान पर आतिशबाजियों और पटाखों की दुकानें सजी होती हैं। सुबह से ही लोग रिश्तेदारों , मित्रों , सगे-संबंधियों के घर मिठाइयाँ व उपहार बाँटने लगते हैं।

दीपावली की शाम लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। पूजा के बाद लोग अपने-अपने घरों के बाहर दीपक व मोमबत्तियाँ जलाकर रखते हैं। चारों ओर चमकते दीपक अत्यंत सुंदर दिखाई देते हैं। रंग-बिरंगे बिजली के बल्बों से बाजार व गलियाँ जगमगा उठते हैं। बच्चे तरह-तरह के पटाखों व आतिशबाजियों का आनंद लेते हैं। रंग-बिरंगी फुलझड़ियाँ , आतिशबाजियाँ व अनारों के जलने का आनंद प्रत्येक आयु के लोग लेते है। देर रात तक कार्तिक की अँधेरी रात पूर्णिमा से भी अधिक प्रकाशयुक्त दिखाई पड़ती है।

दीपावली से अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है। इसी दिन श्री कृष्ण गावर्धन पर्वत अपनी उँगली पर उठाकर इंद्र के कोप से डूबते ब्रजवासियो बचाया था। इसी दिन लोग अपने गाय-बैलों को सजाते हैं तथा गोबर पवत बनाकर पूजा करते हैं। अगले दिन भाईदूज का पर्व होता है।

दापावली के दिन व्यापारी अपने पुराने बहीखाते बदल देते हैं। वे दुकानों पर भी लक्ष्मी-पूजन करते हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने से धन की देवी लक्ष्मी की उन पर विशेष अनुकंपा रहेगी। कृषक वर्ग के लिए इस पर्व का विशेष महत्त्व है। खरीफ़ की फसल पक कर तैयार हो जाने से कृषकों के खलिहान समृद्ध हो जाते हैं। कृषक समाज अपनी समृद्धि का यह पर्व उल्लासपूर्वक मनाता है।

अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास , भाईचारे व प्रेम का संदेश फैलाता है। यह पर्व सामूहिक व व्यक्तिगत दोनों तरह से मनाए जानेवाला ऐसा विशिष्ट पर्व है जो धार्मिक , सांस्कृतिक व सामाजिक विशिष्टता रखता है।

आज के युग में इस पर्व के साथ कुछ कुप्रथाएँ भी जुड़ गई हैं। कुछ लोग दीपावली के दिन जुआ खेलकर मनोरंजन करते हैं। परंतु इस प्रकार की कुप्रथाओं से कुछ भ्रांतियाँ जुड़ी हैं जिनका निवारण बुद्धिजीवी वर्ग स्वयं कर सकता है। वर्तमान समय में प्रदूषण की भी समस्या अति गंभीर रूप धारण कर चुकी है। ऐसे में करोड़ों रुपए की आतिशबाज़ियाँ जलाना कहाँ तक तर्कसंगत है ? इस पर भी विचार करना अत्यंत आवश्यक है। कुछ दशक पूर्व दीपावली पर सरसों के तेल के दीए जलाए जाते थे जिससे सारा वातावरण सुगंध से भर उठता था। आज इस खुशी के पर्व पर चारों तरफ़ घनघोर धुआँ छा जाता है। हमें इस पर्व से संदेश लेकर इन समस्त बुराइयों पर भी विजय पाने का प्रयास करना चाहिए तथा इस प्रकाश पर्व की उल्लास व सार्थकता को सिद्ध करने की दिशा में भरसक प्रयत्न करने चाहिए।

deepon ka tyohar diwali essay in hindi

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Diwali Essay in Hindi – दिवाली पर निबंध हिंदी में

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दिवाली पर निबंध (Diwali Essay in Hindi) – दिवाली एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जिसे ‘बुराई पर अच्छाई की विजय’ का प्रतीक माना जाता है। इस त्योहार की खूबी और महत्व को छात्रों को परिचित कराने के लिए छोटी कक्षाओं में ‘दिवाली पर निबंध (Diwali Essay in Hindi)’ का प्रश्न पूछा जाता है, जो हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में होता है।

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इस हिंदी दिवाली निबंध (Diwali Essay in Hindi) से वे युवा छात्र जो दीवाली त्योहार पर हिंदी में निबंध लिखना चाहते हैं, सिख सकते हैं। निम्नलिखित निबंध में हमने ‘दीपावली’ के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में संक्षेप में जानकारी प्रदान की है। बच्चे इस निबंध से सीख सकते हैं कि वे कैसे अपने लेखन कौशल को बेहतर बना सकते हैं, और कैसे उन्हें दीपावली निबंध में किन-किन बिंदुओं का महत्व है।”

दिवाली पर निबंध 100 शब्दों में (Diwali Essay in Hindi)

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दिवाली हिंदू त्योहार है, जिसको भारत में खुशी-खुशी मनाया जाता है। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि अच्छाई हमेशा बुराइयों पर विजय प्राप्त करेगी। इससे कई हफ्ते पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं। लोग अपने घर और काम के स्थान की सफाई करने लगते हैं। फिर वे अपने घरों और काम के स्थानों को रोशनी, लैंप, फूल, और अन्य सजावटी चीजों से सजाते हैं।

इस उत्सव के मौके पर, लोग अपने प्रियजनों के लिए नए कपड़े, घर के सामान, और उपहार खरीदते हैं। इस मौसम में बाजार में विभिन्न प्रकार के उपहार और खाने-पीने की चीजें खरीदी जाती हैं। दिवाली भी प्रियजनों के साथ संबंधों को मजबूत करने का अच्छा मौका प्रदान करती है।

Essay on Diwali in Hindi

दिवाली पर निबंध 200 शब्दों में (Diwali Essay in Hindi)

हम भारत में रहते हैं, जो विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों, परंपराओं, और विभिन्न त्योहारों के संगठन के लिए प्रसिद्ध है। भारत में, सभी धर्मों के त्योहारों को महत्व दिया जाता है, जैसे कि हिन्दुओं के लिए दीपावली का महत्व है। दीपावली त्योहार को कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अपने देश अयोध्या लौटे थे।

श्री राम के आगमन के मौके पर, लोगों ने दीपकों की पंक्ति जलाकर अयोध्या नगर को चमक दिया। दीपावली शब्द का अर्थ होता है ‘दीपों की पंक्ति’, जिसमें दीपकों को एक पंक्ति में जलाने का रितुअल होता है। इस दिन को और भी खास बनाने के लिए, लोग नए कपड़े, पटाखे, बर्तन, और सजावटी वस्त्र खरीदते हैं। दीपावली के दिन, लोग पहले लक्ष्मी पूजा करते हैं, फिर आपसी मिलनसर मनाते हैं, और मिठाईयों का साझा करते हैं। बच्चे पटाखे जलाकर अपनी खुशी व्यक्त करते हैं। इस तरह, लोग भगवान श्री राम के आगमन के इस पवित्र दिन को खुशी और आनंद के साथ मनाते हैं।

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दिवाली पर निबंध 300 शब्दों में (Diwali Essay in Hindi)

दिवाली हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे बहुत उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। बच्चे दिवाली पर निबंध लिखकर इस त्योहार के बारे में अपने खुशी के पलों को साझा करने का मौका पाते हैं। युवा लोग इस त्योहार को आमतौर पर बहुत पसंद करते हैं, क्योंकि यह सबके लिए खुशियों और आनंद के पल लेकर आता है। वे अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते हैं और अपने प्रियजनों के साथ शुभकामनाएं और उपहार साझा करते हैं। साल 2023 में दिवाली पर्व 12 नवंबर, 2023 को मनाया जाएगा। इस दिन विशेष रूप से धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

दीपावली पूजा शुभ मुहूर्त

दिवाली के अवसर पर, धन की देवी माँ लक्ष्मी, विघ्नहर्ता गणेश जी, और कुबेर जी की पूजा को विशेष महत्व दिया जाता है। लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल में करने का विशेष महत्व है, इससे बड़े पुण्य की प्राप्ति होती है। प्रदोष काल में स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन करना भी बहुत शुभ माना जाता है। यह कहा जाता है कि स्थिर लग्न में पूजा करने से माता लक्ष्मी आपके घर में आने के लिए प्रसन्न हो जाती हैं।

साल 2023 में, दिवाली के अवसर पर, 12 नवंबर को लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त सायं 05:41 मिनट से रात 07:37 मिनट तक होगा। लक्ष्मी पूजन मुहूर्त की कुल अवधि लगभग 01 घंटे 55 मिनट होगी। बताया जा रहा है कि साल 2022 में, देश भर में दिवाली का त्योहार 24 अक्टूबर को मनाया गया था।

दिवाली का इतिहास

हिंदू धर्म के अनुसार, दिवाली का महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान श्री राम, जिन्होंने 14 साल के वनवास के बाद अपनी पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण, और हनुमान जैसे उनके भक्तों के साथ अयोध्या लौटने का समय चुना, वे इसी दिन लौटे थे। इस दिन का विशेषत: बहुत अंधेरा होता है क्योंकि यह अमावस्या का दिन होता है, और इसलिए अयोध्या के लोगों ने अपने नगर को दीपों और फूलों से सजाया ताकि भगवान श्री राम का स्वागत कर सकें। इसके बाद से, दिवाली को दीपों का त्योहार और अंधेरे के खिलाफ प्रकाश की जीत के रूप में मनाया जाता है।

इस शुभ अवसर पर, बाजारों में भगवान गणेश जी, लक्ष्मी जी, और भगवान श्री राम की मूर्तियों की खरीददारी की जाती है। इस समय बाजार में बहुत चहल-पहल होती है। लोग इस मौके पर नए कपड़े, बर्तन, मिठाइयाँ, और अन्य चीजें खरीदते हैं। हिंदू लोग दिवाली के पर्व के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, क्योंकि व्यापारी वर्ग इस दिन नए खाता बही की शुरुआत करते हैं। इसके साथ ही, लोग मानते हैं कि दिवाली सभी के लिए धन, समृद्धि, और सफलता का प्रतीक है। लोग दिवाली के इस खास मौके पर अपने परिवार, दोस्त, और रिश्तेदारों के साथ उपहारों का आदान-प्रदान करने के लिए तैयार रहते हैं।

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दीपवाली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां

जैसे ही दीपावाली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व के पावन अवसर के पास आते हैं, कुछ लोग इसके महत्वपूर्ण दिनों पर असामाजिक कार्यों में लिपट जाते हैं, जैसे कि शराब पीना, जुआ खेलना, टोना-टोटका करना, और पटाखों का गलत तरीके से उपयोग करना। इससे दीपावाली का महत्व बिगाड़ दिया जाता है। अगर हम समाज में इन गलतियों को दीपावाली के दिनों पर नहीं करें, तो वास्तव में दीपावाली का पर्व खुशियों और पौराणिक महत्व के साथ मनाया जा सकता है।

दिवाली पर निबंध 10 लाइन

  • दीपावली को दीपों का त्योहार या दीपोत्सव भी कहा जाता है।
  • दिवाली भारत के सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है।
  • यह त्यौहार भगवान राम की याद में मनाया जाता है जो चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे।
  • इस अवसर पर हिंदू अनुयायी मिट्टी के दीपक जलाते हैं और अपने घरों को रंगोली से सजाते हैं।
  • बच्चे इस त्योहार पर पटाखे जलाकर बहुत खुश होते हैं।
  • हिंदूओं में इस अवसर पर धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।
  • बच्चे, बूढ़े और जवान, सभी इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी और विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा करते हैं।
  • इस दिन सभी लोग अपने दोस्तों और पड़ोसियों को मिठाइयाँ और उपहार देते हैं।
  • भारत में इस दिन सार्वजनिक अवकाश रहता है और लोग इस त्योहार को बड़े धूम-धाम के साथ मनाते हैं।
  • यह हिंदूओं के सबसे प्रिय और आनंददायक त्योहारों में से एक है, जिसे अन्य धर्म और संप्रदाय के लोग भी आपस में मिलजुल कर मनाते हैं।

दिवाली पर निबंध FAQs

दीपावली पर निबंध दीपावली क्यों मनाई जाती है.

दीपावली पर्व हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में मनाया जाता है, जो विजय का प्रतीक है।

What time is Diwali Puja in 2023?

Diwali Puja time in 2023 varies but generally falls in the evening.

What are the 5 days of Diwali?

The 5 days of Diwali are known as Dhanteras, Choti Diwali, Diwali, Govardhan Puja, and Bhai Dooj.

Why is Diwali famous for?

Diwali is famous for celebrating the victory of light over darkness and good over evil.

दिवाली क्यों प्रसिद्ध है?

दिवाली पुनर्मिलित नियमों के हिस्से के रूप में प्रसिद्ध है, और इसके साथ ही हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार है।

In which year Diwali will be on 17 October?

Diwali will be on 17 October in the year 2030.

What is the real date of Diwali in 2025?

The real date of Diwali in 2025 is November 14th.

What is day 3 of Diwali called?

Day 3 of Diwali is called Diwali or the main Diwali day.

Can we drink on Dhanteras?

Drinking on Dhanteras is a matter of personal choice and cultural beliefs.

How many diyas are lit on Dhanteras?

Typically, 13 diyas are lit on Dhanteras.

Why do we light 13 diyas on Diwali?

The tradition of lighting 14 diyas on Diwali varies, but it can symbolize various aspects, including celebrating the 14th day of Kartik, a lunar month.

Why do we light 14 diyas on Diwali?

There are 14 diyas for Diwali, often representing the 14th day of Kartik or various aspects of the festival's significance.

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दिवाली पर निबंध (Diwali Essay in Hindi)

दिवाली

दीपावली (Deepawali) या दिवाली का अर्थ है दीपों की अवली मतलब दीपों की पंक्ति। यह पर्व विशेष कर भारत और भारत के पड़ोसी देश नेपाल में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य देशों में (जहां हिंदू निवास करते हैं) भी यह विधि पूर्वक मनाया जाता है। यह पर्व अपने साथ खुशी, उत्साह और ढ़ेर सारा उमंग लेकर आता है। कार्तिक माह के अमावस्या को दिवाली का पर्व अनेक दीपों के प्रकाश के साथ मनाया जाता है। इस विशेष दिन पर अमावस्या की काली रात दिपों के जगमगाहट से रौशन हो जाती है। दिपावली पर पुराने रीत के अनुसार सभी अपने घरों को दीपक से सजाते हैं।

दिवाली पर 10 वाक्य   || दिवाली के कारण होने वाला प्रदूषण पर निबंध

दीपावली 2021 पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Diwali 2021 in Hindi, Deepawali par Nibandh Hindi mein)

निबंध – 1 (300 शब्द).

प्रभु राम के चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या वापस आने के उपलक्ष्य में दिवाली मनाया गया, तब से प्रति वर्ष दिवाली मनाया जाने लगा। स्कंद पुराण के अनुसार दिवाली से जुड़ी अनेक कथाएं प्रचलित हैं। अतः आध्यात्मिक दृष्टि से दिवाली हिंदुओं का बहुत अधिक महत्वपूर्ण त्योहार है।

दीपावली (Deepawali) के उपलक्ष्य में विभिन्न प्रचलित कथाएं (इतिहास)

दिवाली का इतिहास बहुत पुराना है, इससे जुड़ी अनेक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं जैसे कुछ लोगों के अनुसार सतयुग में भगवान नृसिंह ने इस दिन हिरण्यकश्यप का वध किया था इस उपलक्ष्य में दिवाली मनाया जाता है। कुछ लोगों का मानना है द्वापर में कृष्ण ने नरकासुर का वध कार्तिक आमवस्या को किया था इसलिए मनाया जाता है। कुछ के अनुसार इस दिन माता लक्ष्मी दूध सागर से प्रकट हुई थी, एवं अन्य के अनुसार माँ शक्ति ने उस दिन महाकाली का रूप लिया था इसलिए मनाया जाता है।

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दीपावली की सर्वाधिक प्रचलित कथा

दिवाली मनाए जाने वाले कारणों में सबसे प्रचलित कहानी त्रेता युग में प्रभु राम के रावण का वध कर चौदह वर्ष पश्चात माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में पूरी अयोध्या नगरी को फूलों और दीपों से सजाया गया। तब से प्रति वर्ष कार्तिक अमावस्या को दिवाली मनाया जाने लगा।

दीपावली कब मनाई जाती है

उत्तरी गोलार्द्ध में शरद ऋतु के कार्तिक माह की पूर्णिमा को यह दिपोत्सव धूम-धाम से मनाया जाता है। ग्रेगोरी कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार अक्टूबर या नवम्बर माह में मनाया जाता है।

दीपावली (Deepawali) का महत्व

दिवाली की तैयारी के वजह से घर तथा घर के आस-पास के स्थानों की विशेष सफाई संभव हो पाती है। साथ ही दिवाली का त्योहार हमें हमारे परंपरा से जोड़ता है, हमारे आराध्य के पराक्रम का बोध कराता है। इस बात का भी ज्ञान कराता है कि, अंत में विजय सदैव सच और अच्छाई की होती है।

दिवाली के साथ जुड़ी अनेक पौराणिक कहानियां इसके महत्व को और अधिक बढ़ा देती हैं। इस त्योहार से हम सभी को सच के राह पर चलने की सीख प्राप्त होती है।

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निबंध – 2 (400 शब्द)

दीपावली (Deepawali), स्वयं में अपनी परिभाषा व्यक्त करने वाला एक शब्द है, जिसे हम सब त्योहार के रूप में मनाते हैं। यह दीपों और रोशनी का त्योहार है। हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अमावस्या को हम दीवाली के रुप में मनाते हैं। इसे सभी हिंदू देशों जैसे की भारत, नेपाल, आदि में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। परन्तु इस वर्ष कोरोना के कारण दीवाली की परिभाषा थोड़ी अलग होगी। खुशियां तो आएंगी परंतु अभी लोगों से दूरी बनाने में ही समझदारी है।

2020 की कोरोना वाली दीवाली

इस वर्ष जहां एक ओर पूरा विश्व कोरोना नामक महामारी से लड़ रहा है तो वही त्योहारों का मौसम भी ज़ोर पर है। त्योहारों का आनंद जरूर उठाये परन्तु यह याद रखें की सावधानी हटी, दुर्घटना घटी अर्थात कोरोना किसी भी रूप में आप तक पहुंच सकता है इस लिये कुछ नियमों का पालन करें जैसे:

  • बाज़ार आवश्यक होने पर ही जाएं।
  • सामान लेने के बाद घर आकर सामान को सैनिटाइज जरूर करें।
  • मास्क पहनना न भूलें और एक छोटा सैनिटाइजर भी साथ में अवश्य रखें।
  • दीवाली अपने साथ ठंडक को भी दस्तक देती है तो अपनी सेहत का भी ध्यान दें।
  • एक जिम्मेदार नागरिक बनें और बच्चों को भी पटाखों से होने वाले नुकसान बताएं।
  • मौसम बदलने पर ज्यादातर लोग बीमार पड़ते हैं इस लिये त्योहार की भागा दौड़ी में खुद का ख्याल रखना न भूलें।
  • घरों में डस्टिंग और सफाई आदि करने से कई बार श्वास संबंधी रोग से पीड़ित लोगों को दिक्कत होने लगती है, इस लिये इसे करने से बचें क्यों की किसी भी तरह की श्वास संबंधी बीमारी होने पर लोगों में बेमतलब कोरोना की आशंका हो जाती है।
  • स्वास्थ्य के अतिरिक्त लोकल सामानों को खरीदें और लोकल के लिये वोकल बनें और भारतीय उत्पाद अपनाएं।
  • दीयों से खूबसूरत कुछ नहीं लगते, इस लिये विदेशी लाइटों की जगह घरों को मिट्टी के दीयों से सजाएँ और देश की अर्थव्यवस्था सुधारने में मदद करें।

अपकी दीवाली केवल परिवार के साथ

दीवाली रोशनी का त्योहार तो है ही, साथ में खुशियां भी लाती है। बच्चों से लेकर बूढ़ों तक हर कोई इस दिन का बेसबरी से इंतजार करता है। नए कपड़ों, रंग-बिरंगी मिठाइयों और रंगोली के सामान से बाजारों में रौनक आ जाती है। लोग जम कर खरीदारी करते हैं और अपने-अपने घरों को भी सजाते हैं। इस दिन पूरे देश में खुशी का माहौल रहता है।

इस दीवाली खुद भी सुरक्षित रहें और दूसरों को भी रखें इस लिये इस वर्ष किसी के घर न जाएं सब को फ़ोन पर ही बधाई दे दें। अच्छा भोजन खाएं, ज्यादा बाज़ार के उत्पाद न खाएं घर पर बना खाना खाएं और स्वास्थ्य का विशेष ध्यान दें और परिवार के साथ इसका आनंद लें।

हर त्योहार की अपनी खासियत होती है, ठीक इसी प्रकार रोशनी के इस पर्व को समृद्धि का सूचक माना जाता है। ज्यादातर घरों में इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है और धन-धान्य का वरदान मांगा जाता है। इस वर्ष पर्यावरण और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एक शांत और रोशनी से भरपूर त्योहार अपने-अपने परिवार के साथ मनाएं।

Diwali Essay

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निबंध – 3 (500 शब्द)

दीपावली (Deepawali) धन, धान्य, सुख, चैन व ऐश्वर्य का त्योहार है। भारत के विभिन्न राज्य इस अवसर पर पौराणिक कथाओं के आधार पर विशेष तरह की पूजा करते हैं। दिवाली, भारत तथा नेपाल में प्रमुख रूप से मनाया जाता है। इसके अलावा अन्य देशों में भी उत्साह के साथ मनाया जाता है।

भारत के विभिन्न स्थान पर दिपावली मानाने की वजह

भारत के विभिन्न राज्यों में दिवाली मानाने की अलग-अगल वजह है। उन में से कुछ प्रमुख निम्नवत् हैं-

  • भारत के पूर्वी भाग में स्थित उड़ीसा, बंगाल इस दिन माता शक्ति को, महाकाली का रूप धारण करने के वजह से मनाते हैं। और लक्ष्मी के स्थान पर काली की उपासना करते हैं।
  • भारत के उत्तरी भाग में स्थित पंजाब के लिए दिवाली बहुत महत्व रखता है क्योंकि 1577 में इसी दिवस पर अमृतसर में स्वर्ण मंदिर की नींव रखी गई थी। और इसी दिन पर सिक्खों के गुरु हरगोबिंद सिंह को जेल से रिहा किया गया था।
  • भारत के दक्षिण भाग में स्थित राज्य जैसे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, आदि दिवाली पर, द्वापर में कृष्ण द्वारा नरकासुर के वध के खुशी में कृष्ण की पूजा करके मनाते हैं।

विदेश में दिपावली का स्वरूप

  • नेपाल – भारत के अलांवा भारत के पड़ोसी देश नेपाल में दिपावली का त्योहार धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिवस पर नेपाली कुत्तों को सम्मानित करते हुए उनकी पूजा करते हैं। इसके अलांवा वह संध्याकाल में दीपक जलाते हैं तथा एक-दूसरे से मिलने उनके घर जाते हैं।
  • मलेशिया – मलेशिया में हिंदुओं की संख्या ज्यादा होने के वजह से इस दिन पर सरकारी अवकाश दिया जाता है। लोग अपने घरों में पार्टी आयोजित करते हैं। जिसमें अन्य हिंदू व मलेशियाई नागरिक सम्मिलित होते हैं।
  • श्रीलंका – इस द्वीप में रह रहे लोग दिवाली के सुबह उठ कर तेल से स्नान करते हैं और पूजा के लिए मंदिर जाते हैं। इसके अतिरिक्त यहां दिवाली के मौके पर खेल, आतिशबाजी, गायन, नृत्य, भोज आदि आयोजित किया जाता है।

इन सब के अतिरिक्त अमेरिका, न्यूजीलैंड, मॉरिशस, सिंगापुर, रीयूनियन, फिजी में बसे हिंदुओं द्वारा यह पर्व मनाया जाता है।

दीपावली (Deepawali) पर ध्यान रखने योग्य बातें

विशेषकर लोग दीपावली (Deepawali)पर पटाखे जलाते हैं, यह पटाखे अत्यधिक खतरनाक होते हैं। मस्ती में होने के वजह से अनचाही दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है। अतः त्योहार के धूम-धाम में व्यक्ति को सुरक्षा का भी पूर्ण खयाल रखना चाहिए।

दीपावली (Deepawali)पर अभद्र व्यवहार न करें

कई लोगों का मानना है, दिपावली के अवसर पर जुआ खेलने से घर में धन की बाढ़ आ जाती है। इस कारणवश अनेक लोग इस अवसर पर जुआ खेलते हैं। यह उचित व्यवहार नहीं है।

अत्यधिक पटाखो का जलाया जाना

पटाखों के आवाज से अनेक बेजुबान जानवर बहुत अधिक डरते हैं। इसके अलांवा बड़े-बुजुर्ग और गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीज़ भी इन ध्वनि से परेशानियों का सामना करते हैं। इसके साथ ही दिवाली के दूसरे दिन प्रदुषण में वृद्धि हो जाती है।

दिवाली खुशीयों का त्योहार है। इससे जुड़ी प्रत्येक चीज हमें खुशी देती है। हम सभी को समाज के ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते यह कर्तव्य बनता है की हमारे मस्ती और आनंद के वजह से किसी को भी किसी प्रकार का कष्ट न होने पाए।

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